Tuesday, January 13, 2009

उनकी एक अदा पर हम क्या कर गए ,
दीवानगी की हद से हाय गुज़र गए |

उनसे नज़रे मिले कब , दिल ये बातें सोचे अभी ,
इस आशिकी के रास्तो से, कैसे गुज़रे यह सोचे अभी ,
आँख भी ना लगे अब , कैसे कांटे यह राते सभी ,
नही होश में थे , कहा जा रहे थे ,
नही थी हमको ख़बर , क्यों गा रहे थे ,
के पागल हुए हम अभी , जो हदों से गुज़र गए |

उनकी एक अदा पर हम क्या कर गए ,
दीवानगी की हद से हाय गुज़र गए |

उनकी शोखियों से हम थे थोड़े अजनबी ,
वफाओ से टकरा गए हम , सोचे थे जो न कभी ,
क्या होती है मुहब्बत , यह हमने था न जाना कभी ,
यकीन पा रहे थे या शरमा रहे थे ,
सुकून मिल रहा था , जो दिल पा रहे थे ,
के बातें करते , मुस्कुराते , वादे कर गए |

उनकी एक अदा पर हम क्या कर गए ,
दीवानगी की हद से हाय गुज़र गए |


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