वो रात भी क्या रात थी ,
तुम थे और था चाँद थोड़ा थोड़ा |
कर रहे थे प्यार मुझको ,
और था इताब थोड़ा थोड़ा |
थोडी थोडी मुहब्बत थी और ,
था तेरा नखरा थोड़ा थोड़ा |
सारी छत पे थी खुशबू महकी ,
जो था तेरा इकरार थोड़ा थोड़ा |
वो रात भी क्या रात थी ,
तुम थे और था चाँद थोड़ा थोड़ा |
कर रहे थे प्यार मुझको ,
और था इताब थोड़ा थोड़ा |
थोडी थोडी मुहब्बत थी और ,
था तेरा नखरा थोड़ा थोड़ा |
सारी छत पे थी खुशबू महकी ,
जो था तेरा इकरार थोड़ा थोड़ा |
वोह यार मेरा दिलदार मेरा कुछ अनसुना सा हो गया ,
जल गए हम भी कसक में , वोह दिलजला सा हो गया |
जब समंदर से मैं गुजरा साया अपना खो गया ,
जिसकी तलाश में था में भटका , ये सहरा पासवा सा हो गया |
उस किरण का था ये वादा , साथ में हमसाया होगा ,
बुझना ही बाकी था जिसका , जलजला सा हो गया |
उन दिलजलो की याद में नुकसान अपना हो गया ,
जो था कभी दुश्मन सा वोह , अब मेहरबा सा हो गया |
करता है गुनाह दिल सजा हमको मिलती है ,
दिवानो की बस्ती में जाने क्यो हमारी हस्ती मिलती है |
कोई दिलजला गुजरा था इसी रास्ते ,
वहा आज किसी दीवाने की लाश मिलती है |
उसके लिए तो हसते हसते हम फना हो जायेंगे ,
रश्के जन्नत की गली उसके दर से मिलती है |
ऐ खुदा हमको भी वोह नजारा तो दिखा दे ,
कहते है चाँद को भी चाँदनी उसके दीद से मिलती है |
जो दिल पे लगा है दाग वोह धुलता क्यो नही ,
और तो भरते है लेकिन , यह दिल का जख्म भरता क्यो नही |
आंठो पहर आना रहता था हमारी गली में जिसका ,
इक पल के लिए भी अब वोह नजर आता क्यो नही |
तेरे प्यार में तेरी चाह में हमको है सब कबूल ,
कुछ तो करे कबूल मगर कुछ याद आता क्यो नही |
धड़कता था दिल मेरा , ख़बर होती थी आपको ,
अब तेरा दिल भी मेरे लिए तड़पता क्यो नही |