Aaj Ya Kal
Sunday, February 15, 2009
chalka chalka paimana
यह झूठो की बस्ती है , यह मुर्दों का तहखाना है ,
इनसे क्या लेना देना मुझे , अपना हमदम तो विराना है |
अब साजे सागर क्या कहिये , छलका छलका पैमाना है ,
जो बीत गए वोह दिन थे मेरे , है शाम जिसे अब जाना है |
1 comment:
Yogesh Verma Swapn
said...
sunder rachna.
February 26, 2009 at 3:25 PM
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
sunder rachna.
Post a Comment